४. फरमान १.७.१६३७



शाहजहाँ का राजा जयसिंह के नाम फरमान
(१ जुलाई सन्‌ १६३७)
हिन्दु अनुवाद
भगवान्‌ महान है।

मुहर

अबुल मुजफ्फर शिहाब अलदीन मुहम्मद साहिब ए किरान सानी शाहजहाँ पादशाह गाजी सुपुत्र नूर अलदीन जहाँगीर पादशाह गाजी सुपुत्र अकबर पादशाह सुपुत्र सुल्तान मुहम्मद मिर्जा सुपुत्र मीशन शाह सुपुत्र अमीर तैमूर साहिब ए किरानं

तुगरा

अबुल मुजफ्फर शिहाब अलदीन मुहम्मद साहब ए किरान सानी शाहजहाँ पादशाह गाजी का समानों में उत्तम और कुलीन, ध्यान देने एवं अनुग्रह के योग्य, सच्चा, राजभक्त, अनुरक्त, उच्च वंश (खाना जाद), सेवक जो इस्लाम का आज्ञाकारी है के नाम राजकीय आज्ञा पत्र (फरमान)।

प्रतिष्ठित कियागया तथा राजकीय अनुग्रह के लिये आशान्वित को ज्ञात हो कि हमारे प्रशंसित एवं पूजनीय ध्यान में लाया गया है कि अति कुलीन के कर्मचारी आमेर तथा राज नगर क्षेत्र में पत्थर काटने वालों को एकत्र कर रहे हैं, फलस्वरूप मकराना में कोई भी पत्थर काटने वाला नहीं पहुँच रहा है, फलतः वहाँ पर कम काम हो रहा है।

अस्तु हम आदेश देते हैं कि समकालीनों में श्रेष्ठ एवं भद्र अपने आदमियों पर कठोर प्रभाव डालें कि वे किसी प्रकार भी आमेर एवं राजनगर मेंपत्थर काटने वालों को एकत्र न करें और जो भी पत्थर काटने वाले उपलब्ध हों उन्हें राजकीय प्रतिनिधियों (मुत्सदि्‌दयान) के पास मकराना भेज दें और इस विषय में जैसी भी आवश्यकता हो निश्चित कार्यवाही करें और इस आदेश की न अवज्ञा करें और न ही भूलें और इसे अपना दायित्व समझें।

लिखा गया आज के दिन, तीर के नवें महीने में, इलाही वर्ष १०, तदनुसार ७ वाँ दिन सफर मास का। इसकी समाप्ति सुन्दर ढंग तथा विजय से हो-हिजरी का १०४७ वर्ष।


राजस्थान राज्य लेखागार बीकानेर क्र. ३५ (पुराना) ४६
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Sachindra Kumar,
Apr 28, 2010, 12:05 AM
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